कुदरत अच्छे लोगों को अधिक दुख इसलिए देता है ताकि वो दुखों का सामना करते करते इतना मजबूत हो जाए और दुबारा उस तरह के दुखों का सामना आसानी से कर सकें।

अधिक चिंता से क्या पायेगा मरने से पहले मर जायेगा । चिंता, चिता के समान होती है, चिंता उतनी ही कीजिये जितनी आपके किसी जरूरी काम के लिए फायदेमंद हो ।

जिसने पहला कदम उठा लिया है वो अंतिम भी उठा लेगा कठिनाई पहले में ही है  अंतिम में नही है..!!

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जीवन का अंत निश्चित है सफर का मजा लीजिए, तनाव लेने से कोई फायदा नहीं, सभी को एक न एक दिन जाना ही है।

कर्म का फल इंसान को वैसे ही ढूंढ लेता है जैसे हजारों गायों के बीच बछडा अपनी  मां को ढूंढ लेता है।

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जो व्यक्ति दूसरों का हक और खुशी छीन लेता है उसको दुखों की उम्र लंबी होती है।

चाणक्य के हिसाब से कहीं न कहीं ऊपर वाला ही संभाले हुए है वरना इस कठिन जीवन में संघर्ष आसान नहीं है।

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ईश्वर आपको जिस ऊँचाई पर पहुँचाना चाहते है उससे अधिक संघर्ष करवाते हैं ताकि संघर्ष और तकलीफ सहते सहते वो मंजिल तक पहुँच जाए ।

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यदि आपको ईश्वर पर भरोसा है कि वो आपको आपके मंजिल तक जरूर पहुंचा देगे तो 

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