“जान” थी वो मेरी,
और जान तो एक दिन
चली ही जाती है ना..!!
इतना न याद आओ कि खुद को तुम समझ बैठूं, मुझे अहसास रहने दो मेरी अपनी भी हस्ती है.
महक रही है जिंदगी आज भी जिसकी खुशबू से, वो कौन था जो यूँ गुजर गया मेरी यादों से.
मुझे ना चाँद चाहिए, ना फलक चाहिए,
मुझे तो बस तेरी एक झलक चाहिए |
बरसात तो थम जाती हैं पर यादें नहीं..
रोज-रोज मौसम का बदलना अच्छा नहीं।
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मेरी आंखों की नमी, भी तेरी ही कर्जदार है।
ये सारी अकेली तारीखें, तुझपे उधार हैं।
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ये दिन इंतेज़ार के
बहुत लंबे हैं।
तुम आ जाओ जल्दी यही फरियाद हम करते है।
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याद आ रही हैं तुम्हारी
इजाजत हो तो Call कर लू
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नहीं है कुछ भी मेरे दिल में सिवा उसके
मैं उसे अगर भुला दूँ तो याद क्या रखूँ !
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भीगते हैं जिस तरह से तेरी यादों में डूब कर,
इस बारिश में कहाँ वो कशिश तेरे खयालों जैसी।
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