मनुष्य की चार चीजों की भूख कभी नहीं मिटती धन, जीवन, भोजन और वासना इन सभी मनुष्य हमेशा भूखा रहता है।
"विद्यार्थी, सेवक, पथिक, भूख से पीड़ित, भय से कातर, भांडारी और द्वारपाल ये सात यदि सोते हो तो जगा देना चाहिए।”
“सांप, राजा, व्याघ्र, बररै, वैसे ही बालक, दूसरे का कुत्ता और मूर्खये सात सो रहे हों तो नहीं जगाना चाहिए।”
भले ही कौवा एक ऊंची इमारत पर बैठी है, फिर भी इसे गरुड़ नहीं कहा जा सकता है । इसी प्रकार, एक व्यक्ति का सम्मान उसके गुणों से निर्धारित होता है, लेकिन उसकी ऊंचाई, स्थिति या धन पर नहीं ।
शिक्षा इंसान की सबसे अच्छी मित्र होती है, एक शिक्षित इंसान हर जगह सम्मान पाता है, शिक्षा सुन्दरता को भी पराजित कर सकती है।
आचार्य कौटिल्य की माने तो हर बात हृदय पर लगाओगे तो रोते रह जाओगे इसीलिए जो जैसा है उसके साथ वैसा बनना सीखो।
“सब औषधियों में गुरच गिलोह प्रधान है, सब सुखों में भोजन श्रेष्ठ है;सब इंद्रियों में आंख उत्तम है, सब अंगों में सिर श्रेष्ठ है।”
महान कूटनीतिक विशेसक चाणक्य ने कहा हे की उष, तिल, शूद्र, कांता, सोना, पृथ्वी, चंदन, दही और पान इनका मर्दन गुण वर्धन है।
धनहीन हीन नहीं गिना जाता निश्चय है कि वह धनी ही है।
विद्यारत्न से जो हीन है वह सब वस्तुओं में हीन है