भले ही जीवन भर अकेले रहना लेकिन जबरदस्ती किसी से रिश्ता निभाने की जिद मत करना क्युकी ऐसे रिश्ते ज्यादा नहीं टिकते.!

कौटिल्य के अनुसार किस्मत और हालात दोनों जब साथ न दे तो उनकी भी सुननी पड़ती है जिनकी कोई  औकात नहीं होती।

मुर्ख शिष्य को पढ़ाने पर , दुष्ट स्त्री के साथ जीवन बिताने पर तथा दुःखियों- रोगियों के बीच में रहने पर विद्वान व्यक्ति भी दुःखी हो ही जाता है ।

कुछ तुम्हारे दुःख से सुखी होते हैं और कुछ तुम्हारे सुख से दुःखी होते हैं, इसीलिए कुछ बातों का गुप्त  रहना ही उचित है।

आज सहायता की तो मित्र बन गए और कल किसी कारणवश न कर पाए तो शत्रु न हो जाओगे इसलिए व्यवहार पर ध्यान रखो परंतु अपने लक्ष्य को प्रमुखता अवश्य दे लेना।

जिस देश में सम्मान न हो जहाँ कोई आजीविका न मिले , जहाँ अपना कोई भाई-बन्धु न रहता हो और जहाँ  विद्या-अध्ययन सम्भव न हो, ऐसे स्थान पर नहीं रहना चाहिए 

कौटिल्य के अनुसार न कोई किसी का मित्र है और न ही शत्रु, कार्यवश ही लोग मित्र और शत्रु बनते हैं...... 

याद रखिये जिदंगी में जिस इंसान का हृदय जितना अच्छा होता है ना उस इंसान का भाग्य उतना ही खराब होता है.

शिक्षक और सड़क हमेशा एक जैसे होते है खुद जहा ही वही रहते है लेकिन दूसरो को अपनी मंजिल तक पहुंचाते है

हमारी टेलीग्राम चैनल जरूर फोलो करे जिस से आपको आगे भी ऐसी बढ़िया चाणक्य नीति  विचार मिलते रहेंगे ।।।