चाणक्य के अनुसार, राज्य का राजा, मृत्यु देव यमराज, अग्नि, बालक, चोर, वेश्या, भिखारी पर किसी भी दुख का कोई असर नहीं होता है

शिक्षक और सड़क हमेशा एक जैसे होते है खुद जहा ही वही रहते है लेकिन दूसरो को अपनी मंजिल तक पहुंचाते है

समझदारी की बाते सिर्फ दो ही लोग करते है एक वह जिनकी उम्र अधिक है और दूसरे वह जिसने कम उम्र में बहुत सी ठोकरें खाई है।

जिस से प्रेम होता है उसी ही भय भी होता है प्रेम ही सारे दुखो का मूल है अतः प्रेम बंधनों को तोड़कर सुखपूर्वक रहना चाहिए

जब आप किसी काम की शुरुआत करते है तो असफलता से मत डरिए और उस काम को न छोड़े जो लोग ईमानदारी से काम करते है वो सबसे प्रसन्न होते है और  उन्ही की उन्नति होती है

भाग्य भी उसी का साथ देता है जो कठिन से कठिन स्थितियों में भी अपने लक्ष्य के प्रति अडिग रहते है।

भूखा पेट, खाली जेब, झूठा प्रेम इंसान को जीवन में बहुत कुछ सीखा जाता है।

मूर्ख लोगो से कभी वाद विवाद नही करना चाहिए क्योंकि ऐसा करने से हम अपना ही समय बर्बाद करते हे

प्रेम से भरी हुई आंखे, श्रद्धा से झुका हुआ सिर, सहयोग करते हुए हाथ, सन्मार्ग पर चलते हुए पाव और सत्य से जुड़ी हुई जीभ ईश्वर की पसंदीदा चीजे है